श्री हित राधावल्लभ मूल है रसिकन प्राण आधार
व्यास इन्हीं से होत है अंश कला अवतार |
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः